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थाईलैण्ड की डॉ पट्टामा सवांगश्री चियांग माई विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय, भारत विद्या विभाग की प्रमुख और भारतीय अध्ययन की उप निदेशक हैं। उनके द्वारा लिखी गयी हिन्दी पुस्तिकाओं और पाठ्यपुस्तकों ने थाइलैंड में हिन्दी को बढ़ावा दिया है ।
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उज़्बेकिस्तान में रहने वाली डॉ नीलूफ़र खोजाएवा ने मुंशी प्रेमचंद के उज़्बेक अनुवादों की भाषा शैलीगत विशेषताओं पर पीएचडी की है। उन्होंने हिन्दी में उज़्बेक साहित्य की विशिष्ट कृतियों का अनुवाद, संकलन और प्रकाशन भी किया है।
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ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली डॉ. मृदुल कीर्ति सांस्कृतिक,आध्यात्मिक और अंतर्बोध की भाषायी सेतु हैं। उन्होंने बहुत सारे ग्रंथों का हिन्दी काव्यानुवाद किया है । उनकी भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के प्रति गहरी निष्ठा है।
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पोलैंड से आने वाली हिन्दी विद्वान डॉ मोनिका ब्रोवकिर्ज़क ने कुछ वर्ष भारत में हिन्दी को अपनी सेवाएँ दी।उन्होंने हरिवंश राय बच्चन जी की कविताओं का पोलिश में संपादन और सह-अनुवाद कार्य भी किया।उनकी शोध रुचियों में हिन्दी साहित्य और आत्मकथातमक लेखन भी शामिल हैं।
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