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माँ बिन पहली रात... उसके बाद हर एक रात! एक अजब सा सूनापन.. अब ना दिनभर भूखे रहने पर डाँट! ना समय से सो जाने की सलाह ! वह सब कुछ जानती थी, फिर भी भोली बनी रहती थी झूठ -मूठ ! आजा माँ कुछ पल के लिये आजा माँ! श्रद्धांजलि #हीराबा