Anuraag Muskaan(@anuraagmuskaan)さんの人気ツイート(リツイート順)

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सभी पार्टियों का घोषणापत्र पढ़कर लगता है कि हर पार्टी तो जनता का फ़ायदा चाहती है, वो तो बस जनता ही है जो वोट डालकर अपना नुक़सान कर लेती है। 😜
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आधे पार्टी से नाराज़ होकर घर बैठ जाओ, आधे पार्टी से नाराज़ होकर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाओ और बाक़ी मेरे साथ आओ, अपन मिलकर सरकार को महंगाई पर घेरेंगे। 😄
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क़ानून को ठेंगा दिखाने की ऐसी आदत पड़ गई है कि पहले मीटर से नहीं चलते थे अब नियम और कायदे से नहीं चलेंगे। पता है कि नियम और कायदे से चलने पर कोई चालान नहीं है लेकिन क़ानून मंज़ूर नहीं है, हड़ताल करके अपना और दूसरों का नुकसान मंज़ूर है.👎🏼
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अगर इस सरकार में देश का किसान परेशान है, जवान हैरान है, ग़रीब भूखा है, पिछड़ा हताश है, नौजवान बेरोज़गार है, महिलाएं असुरक्षित हैं, महंगाई, सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार का ग्राफ़ बढ़ता जा रहा है तो फिर मोदी को हराने के लिए विपक्षी पार्टियों को महागठबंधन बनाने की क्या ज़रूरत है? 🤔
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हाँ लेकिन ये भी पहली बार देखने में आ रहा है कि पीड़ित परिवार ने ना तो सीबीआई जाँच की ज़रूरत जताई और ना ही वो नार्को के लिए तैयार है जबकि आरोपी परिवार के गाँव की पंचायत में मामले सीबीआई जाँच की माँग पहले ही की जा चुकी है।🤔 twitter.com/milindkhandeka…
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कितना फ़र्क है निदा ख़ान और सैफ़ अली ख़ान में, निदा ने जान की परवाह किए बिना अपने हक़ के लिए अपने धर्म की कथित कुव्यवस्था के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और सैफ़ को सरकार के ख़िलाफ़ बोलने पर भी जान जाने का डर है.
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हनुमान जी के अलावा संजीवनी किसी को नहीं मिली. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पहाड़ों और जंगलों में उसे आज तक ढ़ूंढ रहे हैं लेकिन कुछ लोगों का दावा है की राफ़ेल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस को संजीवनी मिल गई है.😄
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आतंकियों का ख़ात्मा शांति के लिए ही तो उठाया गया एक निर्णायक कदम है. भारत से ज़्यादा पाक को आतंकवाद से पीड़ित बताने वाले इमरान को इसका स्वागत करना चाहिए था लेकिन उन्होने भारत पर ही हमला कर दिया और अब शांति की अपील का ड्रामा कर रहे है. बेवकूफ़ समझा है क्या पूरी दुनिया को अपनी तरह.
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मोदी को चोर कहने के दो दिन बाद राहुल गांधी ने उन्हे कमांडर इन थीफ़ यानि चोरों का सरदार भी कह दिया, ये वही राहुल हैं जिन्होने संसद में कहा था की हम ‘नफ़रत से नहीं बल्कि प्यार से जीतेंगे’.😄
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एक दिन मोदी के रोड़ शो के चलते 7 बजे का शो कुछ देर के लिए नहीं जा सका और कार्यक्रम स्थल पर चैनल का लाइव देखकर कुछ लोगों ने हंगामा करते हुए आरोप लगाया कि आप लोग मोदी का प्रचार कर रहे हो लेकिन आज जब बिलकुल उसी तरह प्रियंका का रोड़ शो लाइव दिखाया गया तो किसी ने कोई हंगामा नहीं किया.
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आप ‘हैश’ और ‘वीड’ को भी कोरोना की वैक्सीन मान सकते हैं क्यूँकि इनके आते ही कोरोना ‘ग़ायब’ होता जा रहा है।😄
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GST के सवाल पर मुँह में जमने वाले दही पर भी GST लगना चाहिये। 😄
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बड़ा बेशर्म है सच में ये कोरोना। अरे, कोई मुझे लेकर इतनी गंदी राजनीति करे तो मैं तो क़सम से देश छोड़कर ही चला जाऊँ। 😄
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राहुल गांधी ने हार की ज़िम्मेदारी ली और कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने वो हार सोनिया गांधी को पहना दिया. #CongressPresident
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ये विपक्ष का #भारतबंद है या देश भर की सड़कों पर ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर-3’ की शूटिंग चल रही है..?
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खिलाड़ियों से पहले पूरे देश को मिला मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड।🇮🇳
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कृषि बिल के विरोध में पंजाब के हज़ारों किसान अपने हितों की रक्षा के नाम पर जिस तरह कोरोना कैपिटल बन रही दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं उससे ये सवाल उठना लाज़मी है कि क्या ये किसान वाक़ई अपने हितों को लेकर गंभीर हैं या किसी बहकावे में अपने साथ दूसरों की जान भी ख़तरे में डाल रहे हैं?
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जहाज़ की इमरजेंसी लैंडिंग तो कई बार देखी है लेकिन किसी ‘पायलट’ की इमरजेंसी लैंडिंग पहली बार देख रहे हैं। 😄
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अब समझ में आया कि इतनी तेज़ चाल से चलने में सक्षम होने के बावजूद बापू हमेशा अपने हाथ में लाठी क्यूँ रखते थे, अरे क्यूँकि ये Sickulars और Librascals उनके समय में भी होते होंगे ना.😄
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बजट की ख़ामियां गिनाने की बजाए EVM और राफेल डील में खामी पर प्रेस कॉन्फ्रेंस मतलब, जाना था जापान पहुंच गए चीन... समझ गए ना.😄
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प्रयागराज और वाराणसी में कई लोग गुटखे और पान की पीक मुंह में भरकर ये कहते मिले कि, ’ये तो हमारे शहर की संस्कृति के साथ खिलवाड़ है, अब देखिए सड़क के किनारे की दीवारों पर धर्म और संस्कृति से जुड़े प्रसंगों की चित्रकारी करा कर पीक मारने के लिए एक दीवार तक नहीं छोड़ी है सरकार ने’.😄
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अगर पुतिन को यूक्रेन में डबल इंजन वाली सरकार ही चाहिए थी तो उन्हें युद्ध करने की बजाए हमारे मोदी जी से सलाह ले लेनी चाहिए थी। 😜
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मैं किसानों के साथ होने वाले किसी भी तरह के अन्याय के ख़िलाफ़ हूँ लेकिन मैं ये नहीं समझ पा रहा कि किसानों के हिमायती बन कर सिंधू बॉर्डर पर डटे सामाजिक संगठनों उर्फ़ राजनैतिक दलों के नुमाइंदे कभी किसानों की आत्महत्याओं के बाद ऐसे सड़कों पर आंदोलन करने क्यूं नहीं निकले?
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अशोक स्तंभ में चार शेर होते हैं लेकिन दिखते तीन ही हैं। अशोक स्तंभ से प्रेरित कोरोना वॉरियर्स को समर्पित इस तस्वीर में भी जो चौथा शेर दिख नहीं रहा वो ‘मीडियाकर्मी’ है। #CoronaWarriors
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देश की अस्मिता पर सवाल उठाने वाली राजनीति नहीं होनी चाहिए, वरना ऐसी राजनीति तो कसाब और अफ़ज़ल गुरू की फ़ांसी पर सवाल उठाकर या उनकी लाश की तस्वीर मांगकर भी की जा सकती थी.