Anuraag Muskaan(@anuraagmuskaan)さんの人気ツイート(新しい順)

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How is the JAISH ? Destroyed Sir.👍🏼 twitter.com/ANI/status/110…
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कश्मीर भारत का सिर है और महबूबा मुफ़्ती सिरदर्द.😉
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‘देशहित में की गई आलोचना का स्वागत है लेकिन आलोचना केवल अपना चैनल या अपनी राजनीति चलाने के लिए नहीं होना चाहिए’. @abpnewshindi के #शिखरसम्मेलन2019 में बोले @AmitShah
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अगर रोज़ पूजा-पाठ और समाजसेवा करना मेरे नित्यकर्म और स्वाभाव में शामिल है तो क्या किसी बड़ी परीक्षा से पहले की गई मेरी पूजा या समाजसेवा को इस नज़र से देखना ठीक है की मैं परीक्षा में पहले से ज़्यादा अंक लाने के लिए पूजा और समाजसेवा कर रहा हूं?
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कोरबो लोरबो मोरबो. twitter.com/awasthis/statu…
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‘जैश-ए-शैतान’ सही नाम दिया ओवैसी ने. आश्चर्य तो इस बात का होता है की जो मोहम्मद के नाम पर कार्टून बर्दाश्त नहीं कर पाते वो एक आतंकी संगठन के नाम में मोहम्मद कैसे बर्दाश्त कर लेते हैं? twitter.com/ANI/status/109…
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कल ही ट्रंप ने कहा की भारत में ‘कुछ बड़ा होने वाला है’, और आज ख़बर आ गई की रॉबर्ट वाड्रा जल्द ही सक्रिय राजनीति में आ सकते हैं.😄
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आत्मविश्वास का इससे बड़ा उदाहरण नहीं देखा होगा की मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की अगली मन की बात मई महीने में यानि चुनाव के बाद होगी.
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पाकिस्तान की ग़लतफ़हमी का इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिलेगा की हर बार युद्ध में वो भारत से हारा और भारत के अलावा किसी और देश से उसने युद्ध भी नहीं लड़ा लेकिन फिर भी पाकिस्तानी फौज के अधिकारी अपनी वर्दी पर दस-दस मेडल लगाते हैं.😁
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जो जैश-ए-मोहम्मद जिहाद के लिए पाकिस्तान की सड़कों पर खुलेआम चंदा मांगता है उसने ख़ुद पुलवामा हमले की ज़िम्मेदारी ली है और इमरान ख़ान को इस हमले के पाकिस्तानी कनेक्शन के सबूत चाहिए, मतलब सिद्धू के दोस्त के हाथ में भीख का कटोरा आ गया लेकिन अक्ल नहीं आई.
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कश्मीर की बाढ़ में डूब रहे लोगों की जान बचाने के लिए भारतीय सेना के जवानों और समाज सेवियों ने कोई जनमत संग्रह नहीं कराया था, अगर कराया होता तो ना जाने वहां के कितने ही लोग उस बाढ़ में बह गए होते या भूख उन्हे निगल गई होती.
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कायदे से तो पुलवामा के जिस घर में छिपकर आतंकवादी सेना पर गोलियां बरसा रहे थे उसे उड़ाकर उन आतंकियों को ढ़ेर करने से पहले सेना को उन आतंकियों से बातचीत के ज़रिए मामला सुलझाने की कोशिश करने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू को उस घर में भेजना चाहिए था. आपकी क्या राय है?
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CRPF और उत्तराखंड सरकार ने पुष्टि कर दी है की कश्मीरी छात्रों की पिटाई की ख़बर ग़लत थी. अब ज़रा सोचिए, ख़बर का सच जाने बिना कश्मीरी छात्रों के तो सैंकड़ों हिमायती निकल आए लेकिन अपने जवानों पर पत्थर मारने वालों का सच जानने के बावजूद उनके ख़िलाफ़ कभी कोई एक शब्द भी नहीं बोलता.
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पुलवामा का आत्मघाती आदिल अहमद डार अपने वीडियो में जन्नत के मज़े लूटने की बात कर रहा है. काश! उसने आतंक के आकाओं से एक बार ये पूछ लिया होता की वो ख़ुद जन्नत के मज़े लूटने का मौक़ा गंवाकर उसे वहां क्यूं भेजना चाहते हैं, तो उसकी कई ग़लतफ़हमियां दूर हो जातीं.
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सुरक्षा तो केवल पांच अलगाववादी नेताओं की हटाई गई है लेकिन शर्त लगा लीजिए की असुरक्षित कम से कम पांच लाख़ से ज़्यादा हो गए होंगे.
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सोचने वाली बात तो ये है की जो पार्टी को मां कहने के बाद अपनी उसी मां का सगा ना हो पाये हो तो वो अपने देश का क्या सगा होगा.
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आतंकी हमले पर संसद में सर्वदलीय बैठक करने की क्या ज़रूरत थी, इससे अच्छा तो सभी दल के नुमाइंदे नवजोत सिंह सिद्धू से जाकर पूछ लेते की, ‘दसो ‘पाजी’ हुण की करणा है?’
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विडंबना देखिए की पाकिस्तान के इशारे पर उसके आतंकियों ने कल हमारे जिन CRPF के जवानों की जान ली आज उसी CRPF के जवान दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग की सुरक्षा में तैनात हैं.😔
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राहुल गांधी ने कहा की हम दुख की इस घड़ी में जवानों, शहीदों के परिवार और सरकार के साथ खड़े हैं. ये प्रशंसनीय है क्यूंकि जब सवाल देश का हो तो हर भारतवासी का यही रवैया होना चाहिए.👍🏼
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कांग्रेस की विशेष प्रेस कॉन्फ़्रेस में ग़ुलाम नबी आज़ाद ने ये नहीं कहा की आतंकी हमले में हमारे 37 जवान शहीद हो गए बल्कि उन्होने कहा की हमारे 37 जवान हमले में ‘मारे’ गए. शर्मनाक.
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कंठ अवरुद्ध है, आंखें नम हैं, होंठ कांप रहे हैं, मुट्ठियां भिंच रही हैं, बाज़ू फड़क रहे हैं और चेहरा तमतमाया हुआ है. #पुलवामा_अटैक
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वैलंटाइन्स डे पर दिल्ली/एनसीआर में ओले पड़ रहे हैं, लगता है इंद्रदेव भी बजरंग दल में शामिल हो गए हैं.😄
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मुलायम सिंह के बारे में तो ये भी नहीं कहा जा सकता की, ‘लड़के हैं, लड़कों से ग़लती हो जाती है’.😄
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सड़क चलते कोई किसी को अगर ‘चोर-चोर’ कहकर लगातार चिल्लाए तो ये जाने बिना की उसने चोरी की भी है या नहीं, तथाकथित चोर को मारने के लिए भीड़ इकट्ठा हो जाती है. मौजूदा राजनैतिक हालात को देखकर यही लगता है की राजनीति पर लोकतंत्र से ज़्यादा वही भीड़तंत्र हावी है.